(Chances Casino and Club) © Classic Rummy Get lucky at the online casino, Fifa Football Score Strike it Rich at the Online Casino!. जब प्रदूषण स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो स्वास्थ्य के लिए घातक हो जाता है, और तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि फेफड़ों में संक्रमण व आंख, नाक व गले में कई तरह की बीमारियों और ब्लड कैंसर जैसी तमाम घातक बीमारियों को जन्म देता है। अगर क्षेत्र में वायु प्रदूषण मानकों से ज्यादा है तो लोगों को मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे कि वायु में मिले हुए घातक तत्वों और गैसों से काफी हद तक बचा जा सके। आज प्रदूषण को कम करने के लिए हमारी सरकारों को नियमों को सख्ती से लागू करना होगा। अगर लोग देश में निजी वाहनों कि जगह सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें तो वायु प्रदूषणों को नियंत्रित किया जा सकता है, इसके लिए लोगों को खुद सोचना होगा। अगर कोई नियम तोड़ता है तो उस पर जुर्माने का प्रावधान हो। तभी देश में वायु प्रदूषण से निपटा जा सकता है। अगर देश में वायु प्रदूषण से जुडे हुये कानूनों का सख्ती से पालन हो तो वायु प्रदूषण जैसी समस्या से आसानी से निपटा जा सकता है। इससे पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में भी मदद मिलेगी। आज यदि धरती के स्वरूप को गौर से देखा जाए तो साफ पता चल जाता है कि आज नदियां, पर्वत, समुद्र, पेड़ और भूमि तक लगातार क्षरण की अवस्था में हैं। और यह भी अब सबको स्पष्ट दिख रहा है कि आज कोई भी देश, कोई भी सरकार, कोई भी समाज इनके लिए उतना गंभीर नहीं है जितने की जरूरत है। बेशक लंदन की टेम्स नदी को साफ करके उसे पुनर्जीवन प्रदान करने जैसे प्रशंसनीय और अनुकरणीय प्रयास भी हो रहे हैं मगर यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। ऐसे अनुकरणीय प्रयास भारत में भी हो सकते हैं जिसके द्वारा भारत की प्रदूषित नदियों को निर्मल और अविरल बनाया जा सकता है। चाहे वह गंगा नदी हो या यमुना नदी इस सबके लिए जरूरी है दृढ़ इच्छा शक्ति की जो कि भारतीय सरकार के साथ-साथ भारत के हर इंसान में होनी चाहिए। आज जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण पृथ्वी के ऊपर से हरा आवरण लगातार घटता जा रहा है जो पर्यावरणीय असंतुलन को जन्म दे रहा है। पर्यावरणीय संतुलन के लिए वनों का संरक्षण और नदियों का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब समय आ गया है कि धरती को बचाने की मुहिम को इंसान को बचाने के मिशन के रूप में बदलना होगा क्योंकि मनुष्य और पर्यावरण का परस्पर गहरा संबंध है। पर्यावरण यदि प्रदूषित हुआ, तो इसका प्रभाव मनुष्य पर पड़ेगा और मनुष्य का स्वास्थ्य बिगड़ेगा और जनस्वास्थ्य को शत-प्रतिशत उपलब्ध कर सकना किसी भी प्रकार संभव न हो सकेगा। सभी जानते हैं कि इंसान बड़े-बड़े पर्वत नहीं खड़े कर सकता, बेशक चाह कर भी नए साफ समुद्र नहीं बनाए जा सकते और, किंतु यह प्रयास तो किया ही जा सकता है कि इन्हें दोबारा से जीवन प्रदान करने के लिए संजीदगी से प्रयास किया जाए। भारत में तो हाल और भी बुरा है। जिस देश को प्रकृति ने अपने हर अनमोल रत्न, पेड, जंगल, धूप, बारिश, नदी, पहाड़, उर्वर मिट्टी से नवाजा हो, और उसको मुकुट के सामान हिमालय पर्वत दिया हो और हार के समान गंगा, यमुना, नर्मदा जैसी नदियां दी हों यदि वो भी इसका महत्व न समझते हुए इसके नाश में लीन हो जाए तो इससे अधिक अफसोस की बात और क्या हो सकती है। आज यह सब पर्यावरणीय समस्याएं विश्व के सामने मुंह बाए खड़ी हैं। विकास की अंधी दौड़ के पीछे मानव प्रकृति का नाश करने लगा है। सब कुछ पाने की लालसा में वह प्रकृति के नियमों को तोड़ने लगा है। प्रकृति तभी तक साथ देती है, जब तक उसके नियमों के मुताबिक उससे लिया जाए। इसके लिए सबसे सरल उपाय है कि पूरी धरती को हरा भरा कर दिया जाए। इतनी अधिक मात्रा में धरती पर पेड़ों को लगाया जाए कि धरती पर इंसान द्वारा किया जा रहा सारा विष वमन वे वृक्ष अपने भीतर सोख सकें और पर्यावरण को भी सबल बनने के उर्जा प्रदान कर सकें। क्या अच्छा हो यदि कुछ छोटे-छोटे कदम उठा कर लोगों को धरती के प्रति, पेड़ पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बड़े-बड़े सम्मेलनों, आशावादी समझौतों आदि से अच्छा तो यह होगा कि इन उपायों पर काम किया जाए। लोगों को बताया समझाया और महसूस कराया जाए कि पेड़ बचेंगे, तो धरती बचेगी, धरती बचेगी, तो इंसान बचेगा। सरकार यदि ऐसे कुछ उपाय अपनाए तो परिणाम सुखद आएंगे। आज विवाह, जन्मदिन, पार्टी और अन्य ऐसे समारोहों पर उपहार स्वरूप पौधों को देने की परंपरा शुरू की जाए। फिर चाहे वो पौधा, तुलसी का हो या गुलाब का, नीम का हो या गेंदे का। इससे कम से कम लोगों में पेड पौधों के प्रति एक लगाव की शुरुआत तो होगी। और लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता आएगी और ईको फ्रेंडली फैशन की भी शुरुआत होगी। और सभी शिक्षण संस्थानों, स्कूल कॉलेज आदि में विद्यार्थियों को, उनके प्रोजेक्ट के रूप में विद्यालय प्रांगण में, घर के आसपास, और अन्य परिसरों में पेड पौधों को लगाने का कार्य दिया जाए।
क्या हैं ब्रेन ट्यूमर के लक्षण? Classic Rummy, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बजरंग दल पर बैन लगाने पर बैकफुट पर आई कांग्रेस को अब मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बजरंग सेना का साथ मिल गया है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बजरंग सेना का पार्टी में विधिवत विलय गया है। इस मौके पर पूरा कांग्रेस कार्यालय भगवामय नजर आया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने जय जय श्री राम के नारे लगाए। बजरंग सेना के अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने कार्यकर्ताओं के साथ कमलनाथ को गदा भेंट किया।
हिन्दू कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ (Ashadha Month 2023) का प्रारंभ सोमवार, 5 जून 2023 से हो गया है। आषाढ़ मास को धार्मिक नजरिए से बहुत खास माना जाता है। इस महीने में शिव, श्रीहरि और सूर्यदेव की विशेष आराधना रूप से की जाती है। इन्हीं दिनों वर्षा भी आरंभ हो जाती है। Live Big Bull Casino Choose your Fortune at the Online Casino! Strike it Rich at the Online Casino! कृति शर्मा
बाथरूम हमारे घर का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। बाथरूम में भले ही हम कुछ देर ही गुजारें लेकिन उतनी देर भी जितना सुकून और राहत होगी पूरा दिन उसी पर निर्भर करता है कि कैसा गुजरेगा। बाथरूम साफ-स्वच्छ और हवादार होना चाहिए। यहां अगर थोड़ी भी गंदगी या वास्तु दोष हुआ तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो जाता है। घर में सुख, शांति और प्रेम चाहिए तो बाथरूम का एक छोटा सा उपाय आपके बहुत काम का हो सकता है। अपने बाथरूम के अंदर आपको एक कांच की कटोरी में सेंधा नमक रखना चाहिए। ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है। सेंधा नमक के पानी से स्नान करने पर शुभ घटनाएं घटित होना शुरू हो जाती हैं। घर से निकलते समय अगर आप भरे हुए सेंधा नमक की कटोरी दिख जाती है तो उस दिन शुभ समाचार मिलता है। बाथरूम में कांच की कटोरी में नमक रखने से घर में धन की कमी दूर होती है। सुख-शांति भी बनी रहती है Live Blackjack, Baccarat, Roulette, Sharad Pawar: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने बुधवार को कहा कि भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) के खिलाफ जांच शुरू होना राहत की बात है। बृजभूषण पर कई महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। पवार ने पत्रकारों से कहा कि प्रदर्शन कर रहे पहलवान बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं जबकि सरकार का कहना है कि पहले जांच की जाएगी, फिर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि जांच शुरू होना राहत की बात है। पहलवान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सांसद बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे हैं, हालांकि बृजभूषण ने अपने ऊपर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से इंकार किया है। सरकार ने प्रदर्शनकारी पहलवानों के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के कुछ दिन बाद उन्हें (पहलवानों को) उनके मुद्दों पर बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। खेलमंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को आधी रात के बाद ट्वीट किया कि सरकार, पहलवानों के साथ उनके मुद्दों पर चर्चा करने की इच्छुक है। उन्होंने कहा कि मैंने पहलवानों को एक बार फिर बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। दिल्ली पुलिस ने यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के सिलसिले में बृजभूषण के सहयोगियों और उत्तरप्रदेश के गोंडा स्थित उनके आवास पर काम करने वाले लोगों के मंगलवार को बयान दर्ज किए थे, वहीं जिस नाबालिग के बयान के आधार पर बृजभूषण के खिलाफ यौन शोषण से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है, उसका बयान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-164 के तहत एक बार फिर दर्ज किया गया है। इस बीच राकांपा के कुछ नेताओं के तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पार्टी में शामिल होने की योजना के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि यह हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है। बीआरएस के महाराष्ट्र में पैर जमाने की कोशिश करने के सवाल पर राकांपा अध्यक्ष ने कहा कि बीआरएस के राज्य में पैर जमाने की कोशिशों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हम देखेंगे कि वे महाराष्ट्र में क्या कर सकते हैं?(भाषा) Edited by: Ravindra Gupta
Get Lucky and Win! Live Mayfair Gangtok Casino Mahjong इन तस्वीरों में कंगना ब्लू और रेड कलर का लहंगा चोली पहने नजर आ रही हैं। एक्ट्रेस ने अपने सिर पर मुकुट भी पहना हुआ है। इन तस्वीरों में कंगना किसी महारानी से कम नहीं लग रही हैं। कंगना की तस्वीरों को देख लग रहा है जैसे कोई पेंटिंग हो। इन्हें शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने कैप्शन में लिखा- 'आप अपने सपने नहीं चुनते, वे आपको चुनते हैं। भरोसा कीजिए और वो कदम उठा लीजिए।' इसके साथ कंगना ने एक रील भी पोस्ट किया है। इस रील में कंगना अलग-अलग अंदाज में पोज देती दिख रही हैं। इसे शेयर करते हुए एक्ट्रेस ने लिखा, प्यार कोई चॉइस नहीं है जो आप लेते हैं। ईमानदारी से कहूं तो बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है। आपके पास और कोई चॉइस नहीं है। कंगना रनौट के वर्क फ्रंट की बात करें तो उनके पास कई फिल्मों की लाइन लगी हुई है। वह जल्द ही इमरजेंसी, मणिकर्णिका रिटर्न्स, तेजस और चंद्रमुखी 2 में नजर आने वाली हैं। Odisha Train Accident : भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक सनसनीखेज बयान देते हुए ओडिशा में बालासोर ट्रेन हादसे के पीछे तृणमूल कांग्रेस की साजिश बताई। वे दूसरे राज्य में सीबीआई जांच को लेकर इतने चिंतित और घबराए हुए क्यों हैं?इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज घायलों से मिलने ओडिशा भी जाने वाली है। सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि इन लोगों ने पुलिस की मदद से दोनों रेल अधिकारी का फोन टेप किया और टि्वटर पर डाल दिया। दोनों रेल अधिकारी की बातचीत इन लोगों को कैसे पता चली? इसके पीछे क्या साजिश है? टीएमसी की साजिश है। उन्होंने कहा कि बातचीत कैसे लीक हुई सीबीआई जांच में यह भी आना चाहिए। नहीं आएगा तो मैं कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊंगा। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। देश को बदनाम नहीं करना चाहिए। ऐसा देश का कोई मुख्यमंत्री नहीं करता है। बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद से ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है। उन्होंने सरकार पर मौत के आंकड़े छुपाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी दावा किया कि सीबीआई जांच से कोई हल नहीं निकलने वाला। उन्होंने कहा, मैंने 12 साल पहले ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। लेकिन अभी तक उसका कोई नतीजा सामने नहीं आया। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव कमियों को स्वीकार ही नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि सीबीआइ का काम अपराधों की जांच करना है। यह रेल दुर्घटनाओं की जांच के लिए नहीं है। उल्लेखनीय है कि ओडिशा में शुक्रवार को ट्रेन हादसे में अब तक 278 लोग मारे जा चुके हैं जबकि 1100 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
7. क्या है गुंडीचा मार्जन परंपरा? तीनों रथों को मोटी रस्सियों से खींचकर 4 किलोमीटर दूर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाता है। रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से निकलकर गुंडीजा मंदिर पहुंचती है। गुंडीचा मार्जन परंपरा के अनुसार रथ यात्रा से एक दिन पहले श्रद्धालुओं के द्वारा गुंडीचा मंदिर को शुद्ध जल से धोकर साफ किया जाता है। इस परंपरा को गुंडीचा मार्जन कहा जाता है। यात्रा की शुरुआत सबसे पहले बलभद्र जी के रथ से होती है। उनका रथ तालध्वज के लिए निकलता है। इसके बाद सुभद्रा के पद्म रथ की यात्रा शुरू होती है। सबसे अंत में भक्त भगवान जगन्नाथ जी के रथ 'नंदी घोष' को बड़े-बड़े रस्सों की सहायता से खींचना शुरू करते हैं। 8. गुंडिचा मंदिर पहुंचने के बाद क्या होता है? रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुण्डिच्चा मंदिर तक पहुंचती है। जब जगन्नाथ यात्रा गुंडिचा मंदिर में पहुंचती है तब भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्र जी को विधिपूर्वक स्नान कराया जाता है और उन्हें पवित्र वस्त्र पहनाए जाते हैं। यात्रा के पांचवें दिन हेरा पंचमी का महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को खोजने आती हैं, जो अपना मंदिर छोड़कर यात्रा में निकल गए हैं। 9. क्या होता है आड़प-दर्शन? गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा सात दिनों के लिए विश्राम करते हैं। गुंडीचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन को आड़प-दर्शन कहा जाता है। गुंडीचा मंदिर को 'गुंडीचा बाड़ी' भी कहते हैं। माना जाता है कि मां गुंडीचा भगवान जगन्नाथ की मासी हैं। यहीं पर देवताओं के इंजीनियर माने जाने वाले विश्वकर्मा जी ने भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमा का निर्माण किया था। गुंडिचा भगवान की भक्त थीं। मान्यता है कि भक्ति का सम्मान करते हुए भगवान हर साल उनसे मिलने जाते हैं। 10. क्या होती है बहुड़ा यात्रा? आषाढ़ माह की दशमी को सभी रथ पुन: मुख्य मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं। रथों की वापसी की इस यात्रा की रस्म को बहुड़ा यात्रा कहते हैं। जगन्नाथ पुरी में भक्त भगवान के रथ को खींचते हुए दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुंडिचा मंदिर तक ले जाते हैं और नवें दिन वापस लाया जाता है। 11. कब लौटते हैं भगवान जगन्नाथ अपने धाम? नौवें दिन रथयात्रा पुन: भगवान के धाम आ जाती है। जगन्नाथ मंदिर वापस पहुंचने के बाद भी सभी प्रतिमाएं रथ में ही रहती हैं। देवी-देवताओं के लिए मंदिर के द्वार अगले दिन एकादशी को खोले जाते हैं, तब विधिवत स्नान करवा कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देव विग्रहों को पुनः प्रतिष्ठित किया जाता है। Fifa Football Score, ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर एक सर्वे हुआ जिसमें बीजेपी को मात्र 65 सीटें मिलती नज़र आ रही हैं।
इस महिला के पति ने इस मामले को लेकर अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है, जिसके बाद से वह फरार बताई जा रही है। Texas Holdem Betting भविष्य में भारत में बढ़ सकता है मानव-बाघ संघर्ष 2070 तक बाघों के रहने लायक जंगल नहीं बचेगा सुंदरबन 40 प्रतिशत बाघ वन्य क्षेत्र से बाहर Tiger sighting in cities in India: करीब 50 साल पहले देश में बाघों की संख्या ने भारत सरकार के माथे पर शिकन ला दी थी। बाघों की गिनती के नतीजों में सामने आया था कि बाघों की आबादी घटकर 1,827 हो गई है। 20वीं सदी में भारत में बाघों की अनुमानित संख्या 20 हजार से 40 हजार तक मानी जाती थी। ऐसे में 1800 का आंकड़ा पूरे देश के लिए चिंता का मसला था।